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अन्ना जी -ये क्या कर डाला?

सपाटबयानी
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श्रीमान ,अन्ना जी
कहते हैं-वादा ,विश्वास,सबंध और दिल कभी नहीं तोड़ने चाहीये ,इनके टूटने से आवाज नहीं होती लेकिन दर्द बहुत होता है.अन्ना जी आपने अनशन तोड़ा यह आपकी मर्जी, पर लोगो का विशवास भी तोड़ दिया आपने.अब यदि आप अलग पार्टी बना रहे हैं तो यह पहले क्यों नहीं सोचा था आपका यह विचार कि आप संसद में जायेंगे ,मेरा यह दावा है कि आप वहां भी असफल ही होंगे,भले ही यह सोच, कि गन्दगी को साफ़ करने के लिए गन्दगी में उतरना पड़ता है,ठीक क्यों न हो,आपके साथी ही आपको ऐसा नहीं करने देंगे बल्कि यही गन्दगी आप पर मॉल देंगे. पर यह काम जो आपने किया कैसे भी ठीक नहीं कहा जा सकता? आपको राजनीति का रत्तीभर भी अनुभव है नहीं, इन घाघों को पार पाना कैसे भी आपके बूते से बाहर ही साबित होगा.आप जीत भी गए ,तो आपने पार्टी भी बना ली तो आपके पार्टी के सदस्य ही आपको ब्लैक मेल करेंगे,आप न सोचें कि वहां आपका दबदबा रहेगा?आपने अपनी लाखों की साख खो दी है अब आप उस गाँव वाले मंदिर की कोठारी में जाकर रहें,जहां ४००/-माह्मे गुजारा करते थे,जैसा आप बताते रहे हैं,और ख्वारी से तो बच जायेंगे .

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