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हमारा अधिकार : बच्चों को सुधारना -जागरण जंक्शन फोरम

सपाटबयानी
सपाटबयानी
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महोदय,आजकल और पहले के समय में परिवर्तानके कारण अब सभी बचे लापरवाह और बेलगाम हो गए हैं! अमेरीका में तोछोटे बच्चों को यह शिक्षा ही दी जाती है की घर में कोई भी तंग करे तो पोलीस को फलां नंबर पर शिकायत करें सो छोटे छोटे बचे भी माँ बाप को धमकातें हैं और कर के भी दिखाते है! इसकी जानकारी अब हमारे देश में भी हो गयी है वहां भीबच्चे अभी माँ बाप को धमकी तो नहीं देते ,पर किसी बड़े की बात तो मानते ही नहीं हैं.ये वे बच्चे हैं जिनकी आयु ३-५ वर्ष है.मतलब उनके हित में आप उन्हें कह ही नहीं सकते?यही कारन है की बड़े होने पर वे बेहूदे बन जाते हैं.आप ही बताईये क्या हम माँ बाप की बातें मानते हुए बिगड़ गए थे ,यदि ऐसा हुआ होता तो हम आज समाज में कह सकते हैं की हम फलां के बेटे हैं? हम परिवार के अनुशासन में ही रह कर सुधर सके हैं ,पर अब बिगड़ने का समय आ गया है,यही हवा है की हम अपनी जवान बेटी को खुले घूमने से न रोक पाने को विवश हैं!उन्हें यह नहीं मालूम की हर माँ बाप उनके हित और सुरक्षा के लिए ही कहता है!पर जब सब कुछ समाप्त हो जाता है तो माँ बाप ही तो संकट में आते हैं?अब हम अपने ही बच्चों को सुधारने के अधिकार से भी वंचित होगये हैं? अमेरीका में आपके साथ रहनेवाला बचा भारत लौटने के लिए मना कर देता है तोआप कुछ भी नहीं कर सकते?क्योंकि उन्हें वह आजादी और खुलापन भारत में नहीं मिल सकेगा इसलिए ये बच्चे बड़े होने पर वापिस भारत नहीं आना चाहते,और न ही आते है तब ये पालनहार सर पकड़ कर बैठ जाते हैं. वे साफ़ तौर पर कहते सुने जाते हैं की आपने अपनी मौज मस्ती की और हम पैदाहो गए इसमे हमारा आपकी बात मानाने का कोई दायत्व नहीं बनाता!!.

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