Menu
blogid : 11587 postid : 58

प्रजातंत्र का चौथा खम्भा”मीडीया”अब गिरने वाला है!!!

सपाटबयानी
सपाटबयानी
  • 182 Posts
  • 458 Comments

हम बहुत ही बेसहारा महसूस करने लगे हैं अपने आप को! हमारी सरकार,हमारे लिए और हमारे द्वारा का अर्थ अब हमें भूल जाना होगा! हमारा देश सोने की चिड़िया तो क्या लोहे की भी नहीं रही और आगे न जाने कैसी हालत में होगी ,नहीं कह सकते.शायद मर ही जायेगी.याकहें की मर ही गयी है!कहा जाता है की प्रजातंत्र के तीन खम्भे:विधायका,कार्यपालिका और न्यायपालिका हैं इनमे पहले दो खम्भे तो बिककर कमजोर हो गए हैं,तीसरा भी इनकी देखा देखी में अपना महत्व खोता जा रहा है मतलब तीनो कमजोर हो गए हैं ऐसे में एक और खम्भा,जिसे “मीडीया” कहने लगे हैं हम लोग, वह सामने आया तो आशा बंधी, की अब सब ठीक चलेगा पर समय की हवा में वह भी कमजोर होता दिखाई दे रहा है.
अभी हाल में अन्ना जी के जन्तर मन्त्र आन्दोलन में ऐसा कहा जाता है और कार्टूनों द्वारा दिखाया गया था की सोनिया जी के धमकाने पर इस अति विशवसनीय खम्भे ने खाली मैदान दिखाकर आन्दोलन की हवा निकल दी ?और कहा गया की यदि ऐसा नहीं करोगे तो सरकार तुम लोगों का लाइसेंस रद्द ही कर देगी और आपको कोई भी सरकारी विज्ञापन नहीं दिया जाएगा जिससे इन मीडीया वालों को करोड़ों का फ़ायदा होता हैi इस प्रकार मीडीया भी बिक गया.क्योंकि वे भी तो आदमी हैं यदि” घोड़ा घास से यारी करेगा तो क्या खायेगा”,क्या मीडीया को भूखे मरना है?सो अपने को बेच दिया.इस खभे नेi
एक पिक्चर आयी थी जिसमे एक बड़े समारोह में मीडीया भी आमंत्रित था,आयोजको ने समारोह के चलते उन्हें ब्रीफ रिपोर्ट दी और उसे छापने का अनुरोध किया,तब खाने के वक्त मीडीया वालों ने कहा मुर्गा और विसकी और ले आओ,आयोजकों ने कहा वह तो अब ख़त्म हो गयी है,तब मीडीया कर्मी ने वह ब्रीफ रिपोर्ट ही फाड़ डाली,मतलब की कोई काम पैसे के बिना नहीं होगा ,जब सब ही ऐसा कर रहे हैं तो मीडीया क्या स्वर्ग से आया है?
आज अभी तक समाज में इसी मीडीया का डर है सब को ,क्यों?कहीं कोई महिला को जला डाले तो पुलीस मीडीया के डर से ही कारवाही करती है,कहीं कोई दंगा फसाद हो तो मीडीया,कही पुलीस की बदनामी न कर दे इसीलिये वह हरकत में आती है.यह है मीडीया का भय लेकिन यदि मीडीया भी पार् दर्शिता खो कर बिक जायेगी तो इसका भय और महत्व भी समाप्त हो जाएगा.टी.वी.चैनलों पर नेताओं के जो साक्शात्कार और सामूहिक विचार विमर्श दिखाए जाते हैं उसमे ये नेता बड़े डरकर ही मीडीया वालों से बात करते दिखाई देते है,क्या यहाँ नेताओं की शक्ती इन मीडीया वालों से कम होती है? नहीं, वे जानते हैं कहीं उंच नीच हो गयी तो मीडीया वाले अर्श से फर्श पर ला सकतें हैं. तो मित्रों, यह है शक्ती मीडीया की .इसीलिये इसे ब्प्रजातंत्र का चौथा और सबसे मजबूत खम्भा माना गया है,पर कब तक, जब तक वह ईमानदारी से,काम करेगा, वरना कोई और इस खम्भे के स्थान पर आयेगा ,तब इस खम्भे को कोई नहीं पूछेगा.हम सब नागरिकों का अनुरोध है की मीडीया पहले की तरह काम करे वह हमेशा”दूध का दूध और पाने कापानी” करने में अपनी वही पहले वाली भूमिका निभाये, बाकी पैसा तो आपलोगों को भरपूर ही मिल रहा है अपने को न बेचें .समाज की सेवाकारें यही आपका धर्म है,यही कर्म भी,आपका आदर भी बना रहेगा साथ में गरीबों की दुवाएं भी मिलाती रहेंगी.

Read Comments

    Post a comment

    Leave a Reply