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रोम का ” नीरो ” है- हमारा पी.एम मनमोहन सिंह–पाठकनामा आगरा के लिए

सपाटबयानी
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भारत दुनिया का सबसे बड़ा देश है,जाहिर है की इसकी समस्याएं भी बड़ी और ज्यादा ही होंगी!पर यही देश था तब क्यों नहीं थी समस्याएँ बड़ी और बहुत सारी?यह सब मात्र भ्रटाचार के कारण है जिस पर बहस करने से फायदआ ही नहीं है.हमारी अर्थ व्यवस्था ठीक नहीं है,फिर अर्थशास्त्री किसलिए ?,कृशीकी हालत ठीक नहीं है फिर कृषी मंत्री किसलिए है?देश आतंकवाद,नक्सलवाद से नहीं संभल पारहा है फिर गृह मंत्री क्यों है?इन सब के ऊपर हैं हमारे पी.एम साब ,जो समय समय पर इनकी नकेल कस कर सही काम करवाने के लिए ही ब्जिम्मेदार हैं यदि दर कर चुप बैठे रहेंगे तो क्या फ़ायदा इस पी.एम का?ये तो रोम के नीरो ही हुए जो मात्र बंसी बजा रहे हैं! उन्होंने तो सिद्धांत बना लिया है की- “अपनी कुर्सी आढ़ में, जनता जाये भाढ़ में!” हमारे पी.एम साब जी,देश की जनता ने आपको गुनी समझ कर इस कुर्सी पर क्या इसलीइ बिठाया की आप काम न करें चुप बैठकर मजा लें?यदि आप डरते हैं तो क्यों नहीं कुर्सी छोड़ देते?आप एक माने हुए अर्थशास्त्री भी हैं ऐसा मैंने जाना है, पर लगता है मैंने गलत सुना है!क्योंकि आपने आजतक कोई काम नहीं किया, जिससे लगे की आप अर्थ शास्त्री हैं आप तो बंसी बजाने वाले नीरो है i जब बंसी ही बजानी है तो कहीं भी बजा सकते हैं ! इस कुर्सी को बदनाम तो न करें.

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