वाकया यूं. पी. सरकार के मंत्री जी का है, इनका नाम है आजम खान! ये शायद अपने को अखलेश सरकार का बैलेंस पोवार समझते है, इसलिये एक सरकारी अ धिकारी वह भी आए. ए. एस अधिकारी को सरे आम भरी सभा में जलील ही नहीं करते अपितु उन्हें सबके सामने ‘बदतमीज’ कह सकते है,और तो और अखिलेश यादव जी भी कुछ कह पाने की हिम्मत नहीं जुटा सकते है.मुझे यह समझ में नहीं आया, की उस समय यह अधिकारी क्यों चुप रह गए? इस अधिकारी को जवाब में अपना जूता उतारकर उसे वही से मारना चाहीये था, लेकिन लगता है की यह अधिकारी सिफारसी था जो अपने बूते पर चुन कर नहीं आया था इस पद पर?या फिर आरक्षण से आया होगा!
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