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‘माता पिता द्वारा बच्चियों की ह्त्या”-jagran juncion forum

सपाटबयानी
सपाटबयानी
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फोरम में इस विषय पर आलेख लिखकर नीचे 4 सवालों पर विचार करने पर मंथन कर ईमानदारी से अपना मत दे रहे है!

1- लड़कीयों को बोझ समझने वाले यह कभी न सोचे, की वो प्यारी बच्ची,दुलारी बच्ची माँ बाप का ध्यान रखने वाली हम पर बोझ है ? शायद यह सोच इसलिए बन गयी है की हम उसे पालपोस कर दूसरे घर में भेजते है.पर क्या हम वास्तव में उसे दूसरे के घर में भेजते है ? नहीं हम तो उसे अपने सपनों के घर भेजते है,आप तो जानते है की लड़का शादी के बाद आपकी लड़की को लेकर अलग रहने चला जता है , उस समय तो आपको अच्छा ही लगता है की चलो वह सास ससुर के अंकुश से मुक्ति पा गयी और अब उसका ही राज रहेगा इस घर में!
2 -बेटा भी तो शादी के बाद माँ बाप को अकेला छोड़ कर चला जता ई फिर यहाँ उसे कैसे अलग रखा जता है लड़कीसे? क्यों नहीं समझ में आती है यह बात ? मै तो यह कहना चाहूँगा की बेटी को आपकी परवाह ज्यादा रहती है ,बेटे से!
3 – जो लोग बेटी को आर्थिक बोझ समझते है वे बताएं की कैसे है बेटी का आर्थिक बोझ? जब की आज कल सरकार ने इस समझे जाने वाले बोझ को कई इन्सेंतिव्स दे कर कम करने का अछा अवसर दिया है यह पुराणी सोच वालों का ही दिमाग है जिन्होंने वक्त के साथ अपने को या अपनी सोच को नहीं बदला है! लड़कीयों को मुफ्त शिषा,नकद राशि,नौकरियों में प्राथमिकता आदि-आदि सहूलियतें! क्या कम हैं? और ये सब धीरे धीरे बडा ही रही हैं!हमारीसराकारें ! यह बात भी तो जाने की ” जिसने चोंच दी है वह चोगा भी देता है ” भगवान् किसी को जब इस दुनिया मे भेजता है तो उसके खाने का इंतजाम पहले से कर लेता है !
४- फिर हर क्षेत्र में बराबरी के अवसर बल्कि बराबरी से भी बढकर अवसर इन लड़कीयों को है. आज क्या भारत में औरते हर क्षेत्र में बड़े सबदे पदों पर आसीन नहीं है? इसलिये भेद भाव की बात कहाँ है?
अंत में सार के पहले यह तकलीफ माँ बाप को बेटी की शादी हो जाने तक सताती रहती है की उसे हर जगह जाने के लिए किसी अपने की जरूरत पड़ती है, जिसमे माँ – बाप या भाई हरके उसके संग नहीं जा सकता! तब बेटी का अकेले जा पाना जोखिम भरा सा रहता है! और हमारे देश में यह भी दर हमेशा ही बनाराहता है की लड़कीयों को स्कूल या कालेज जाने के वक्त आवारा किस्म के लड़कों द्वारा परेशान किये जाने की बात सताती है, मनचलों द्वारा मुंह पर तेज़ाब फेकने ,उसे भगा ले जाने की घटनाए माँ-बाप की नींद उडाये रहती है! बस लड़कीयों के बारे में यह संभालना ही चिंता का कारन बना रहता है! शादी के पहले यदि सब ठीक ठाक रहे तो लड़कीयों की कोई भी ऐसी बात नहीं जो माँ बाप को परेशान करे,माँ बाप उसे बोझ समझे!. आप की बेटी कीतनी भी चरित्रवान हो, यदि मन चले उसे जीने न दे तो माँ-बाप चैन की नीद नहीं ले पाते? साफ़ है की ये मनचले हर नगर ,महानगर,पड़ोस,गली मोहल्लों और रास्तों में जाल फैलाए रहते है,इसलिये लड़की के घरवालों का यूं परेशान रहना कोई गलत नहीं लगता ? यदि लड़की उच्च शिक्षा के बाद कीसी प्रकार का प्रशिक्षण भी लेने जाये जो की जरूरी होता है , तो उसका शिक्षक उससे ब्लैक मेल करने से नहीं चूक्कता ऐसे में उसे फेल करना उसके हाथ में ही रहता है ये बाते हमें परेशानी में डाले रहती है!वे हमेशा चिंतित ही रहते है,जो की स्वाभाविक है.किसी की इस संबंध मे मदद लेना भी बदनामी के बात होती है ,

4 – फिर हर क्षेत्र में बराबरी के अवसर बल्कि बराबरी से भी बढकर अवसर इन लड़कीयों को है आज. क्या भारत में औरते, हर क्षेत्र में बड़े सब से बड़े पदों पर आसीन नहीं है?
सब का सार यही की अब हमें सोच को बदलना होगा, केवल लड़की है , वह बोझ है, उसकी शादी पर पैसा देना होगा ये सब बातें बेकार की हैं. मात्र इसके लिये आप उसकी ह्त्या करें यह किसी भी प्रकार से न तो सही है और न ही माफ़ करने योग्य है भगावान के दर पर! बस अपनी बेटी को अच्छे संस्कार देलकर अच्छी और ऊंचीशिक्षा दे वरना उसकी ह्त्या करने के विचार से तो यह अछा है की आप शादी न करें या फिर शादी के बाद बच्चे की चाह न रखे!

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