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मनोवैज्ञानिकों ने भूख के रूप में एक भूख ‘शारीरिक भूख’ को भी बताया है, यह भूख सबसे महत्वपूर्ण मानी गयी है जो की हर जीव, यहाँ तक की पौधों ,वनस्पतियों में भी होती है.भूख के इस प्रकार ने आज हर समाज में आधुनिकता का नाम देकर एक बहुत बड़ी समस्या खरी कर दी गयी है, जिसके चलते हम कुछ भी कर पाने में अपने को असमर्थ महसूस करने लगे हैं! भले हम आज बेटे और बेटियों के सामने विचारों के मतभेदों को ‘जन्राशन गैप’ का नाम दे या फिर हम पुराने और ये नए विचारों वाले हैं, का नाम दें ,पर है सब के पीछे यह भूख,जिसे शारीरिक भूख कहा गया है ! यह भूख पहले भी ,थी आज भी है और जब तक यह दुनिया रहेगी तब तक यह भूख रहेगी! पर अब इसे विकास और वकसित होने के नाम पर ,और आधुनिकता के नाम पर इस तरह पेश किया जाने का स्वर खडा किया जा रहा है जो समाज को गर्त में धकेलता जा रहा है!इसलिये जहां आविष्कारों ने इस भूख को बढाने के लिए साधनों की खोज की,अब इस भूख को घटाने की जरूरत महसूस होने लगी है भूख कहा जाय ही है ! यह भूख पहले भी ,थी आज भी है और जब तक यह दुनिया रहेगी तब तक यह भूख रहेगी! पर अब इसे विकास और वकसित होने के नाम पर ,और आधुनिकता के नाम पर इस तरह पेश किया जाने का स्वर खडा किया जा रहा है जो समाज को गर्त में धकेलता जा रहा है!इसलिये जहां आविष्कारों ने इस भूख को बढाने के लिए साधनों की खोज की,अब इस भूख को घटाने की जरूरत महसूस होने लगी है और इसके बिना हमारा समाज दूषित और जन्गली हो जाएगा, वे दिन आ ही गए समझो!
सेक्स को और आन्दित बनाने के लिए जो साधन आज उपलब्ध हैं ,उनके उपयोग की चाह अब युवक और युवतीयों में भी आने लगी है और इनका उपयोग जब शादीसे पहले किया जाता है तो इसका यह गलत उपयोग ही माना जाएगा? और पता भी न चले की इस या उस लड़की ने यह सब कर लिया है जिसे नहीं करनी चाहीये था, आज कल “१८ अगेन” के रूप में यह साधन और आगया है
सेक्स की संतुष्टि (यह प्रकिर्तिक है ) के लिए ही हर समाज ने इसकी अनुमति अपने अपने तरीके से शादी के अलग अलग नमूनों के रूप में दे रखी है.ताकि कोई अव्यवस्था न हो.पर अब शादी से पहले इस आनद को लेने के लिए युवक और युवतियों ने अपने स्वरों को मुखर कर दिया है., जो हमारे समाज में बिलकुल भी अनुमत नहीं है! पर कुछ लोग इसे न मानने पर अपनी औलाद के लिए खुद को अविशवसनीय माने जाने के कारण अनुमति देने की बाध्यता मानकर उन्हें छूट देने की बात करते है तो कुछ इसे समय की मांग बताते हैं .यदि यही सोच है और हम कुछ न कर पाने की हालत में है, तो अछा होगा की अब ऐसा साधन खोजा जाए जो सेक्स की इस उत्तेजना को कम कर सके और हमारी संतान इसकी पूर्ती को शादी तक रोक पाने में समर्थ हो जाए और कोई ऐसी वैसी हरकत न करे ! मेरा मेडीकल के फील्ड में अनुसंधान करने वालों से अनुरोध है की जिस परकार उन्होंने ‘१८ अगेन’ को खोज निकाला है वैसे ही सेक्स कम करने की खोज कर समाज को साफ़ और सुन्दर बनाए रखने में अपना सहयोग दें! .
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