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आधुनिक बालाएं -विष कन्याएं!!

सपाटबयानी
सपाटबयानी
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हमारे समाज के बारे में हर आदमी मानने लगा है की यह बिगड़ता जारहा है, कुछ लोग इसी को परिवर्तन,और समय की मांग बता कर समझौता कर लेने के पक्ष में अपना- अपना तर्क देते है और कुछ लोग हमारे संस्कारों की दुहाई देकर इसे गब्भीरता से लेते है ताकि आने वाली जनरेशन बिगड़े नहीं! पर आज कल के बालक और बालकाए किसी भी बात को न मान कर अपने ही तरीके से चलने के हक़ में हैं, इस पर बहुत लिखा जा रहा है और भी लिखने व बहस करने को बहुत है, पर सुनता और पढता कौन है यह सब?
इधर गीतिका शर्मा जैसी तमाम लड़कियों ने अपनी असीमित उड़ान के कारण, अपनी जान दे दी,इसी तरह समाज के खुलेपन ने बच्चों को और भी आजादी दे दी है! आजादी नहीं दी है पर ये लोग अपनी ही जिद के कारण मानते ही कहाँ हैं, हम घर के बड़े लोगों की बात? और अपना जीवन नरक बना लेते हैं.हम मानते हैं की मह्तवाकान्षा के बिना आप आगे नहीं जा सकते पर अति हर एक की आपको गर्त में धकेल देती है!यही कारण है की इसके चलते जहां हर व्यक्ति पहले तो उड़ता है फिर इस अंधी दौड़ में ऐसा खो जाता है की उसे अपने है गलत काम का भी ध्यान नहीं रहता! वह हरेक कार्य को अपनी ही अकल की परिणति समझ कर कुछ भी करने को करने के लिए तत्पर रहता है, इसे वह अपनी मेहनत भी समझ बैठता है!लड़कियां इस में सबसे आगे पायी गयी है, उनसे अपनी उड़ान की चाह संभाली नहीं जाती और हर बात ,हर शर्त को मानने पर हो जाती हैं तैयार! फिर आधुनिकता के नाम पर चलने फिरने ,पहने और घूमने को आधुनिकता का नाम देकर सब कुछ लुटा बैठती है जब यह चसका पढ़ जाता है तो वे विष कन्याओं का रूप भी धारण करने में पीछे नहीं रहती,अपने व्यवहार से ,अपने काम को अंजाम पर पहुंचाने को ये अपनी खूबसुरती को कैश करा लेती है!,
आज हर आफिस में ये लडकीया अपने बॉस को लुभाने के लियी छाती के बटन खोल कर ऐसे आती हैं जैसे ये बटन अपने आप ही खुल गए होते हैं ,और पहले बटन फीर सब कुछ खोल कर इन अदाओं का भरपूर लाभ लेती है.यही कारण है की कार्पोराट्स ऐसी हासीनाओं को रखते है , ये हमेशा ही महत्वकान्शाओ के नाम पर होटलों में देर रात तक डिनर पर जा सकती हैं दूसरे शहरों में होटलों में किसके भी साथ रह लेती हैं इस तरह ‘अप़ना काम बनता’ में विश्वास करती हैं,
शहर के हर दुकानों पर इन लड़कीयों को रखा जाता है ताकि ग्रहाक के रूप में आया पंछी बिना फंसे ही न जा सके.बैंक्स की ये लड़कियां आपका बलंस जान कर आपके घर पर आकर बड़ी रकम को ऍफ़.दी . करवाने को राजी कर लेंगी यह उन्हें मालूम है की ऐसा कर वे अपने बॉस को खुश करके अपना टारगेट पूरा कर लेंगी! फिर हर आदमी लड़की से कुछ तो चाहेगा ही बदले में,सो यह सिलसिला चलकर आगे अन्य रिश्तों में बदल जाता है इस देखा देखी मे अन्य लड़कियां भी नकल करने से बाज नहीं आती? अकल्मन्द आदमी तो समझ कर भी अपनी अकल को बंद कर देता है और लडकीयों के विष को पी जाने और ब्बहक जाने से गुरेज नहीं कर पाता ! पहले ये विष कन्याये अपना काम समझ कर करती है फिर धीरे धीरे कुछ भी कर जाने को तैयार हो जाती हैं आज कल ‘सब चलता है सब कुछ के ‘ के नाम पर,माँ बाप को सब मालूम रहता है पर कोई माने तब न ? सो हमें सावधान रहना है इन विष कन्याओं से, ये विष कन्याये भी एक सीमा को लांघ जाने को लक्षमण रेखा मान कर चलें तो ही थीक रहेगा पर यह तो अंधी दौड़ ही है कोई कहाँ तक बचेगा?.आजकल के लड़के इन पर अपनी पूरी तनख्वाह ही लुटा देते है इन्हें मोब. लेकर , उसमे चार्ज करवाकर देने में पीछे नहीं रहते ,सही भी है यदि मोब. चार्ज नहीं होगा तो इनसे शाम को मिलने का अवसर लेने का काम कैसे तय हो सकेगा? बड़े शहरों में दूरी की वजह से मोब. पर ही तो बात हो सकेगी वरना शामें कैसे रंगीन होंगी? तो सावधान रहें इन विष कन्याओं से!

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