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आजकल यह देखने में आता है की सदैव ही जागरण पत्रिका अपने बारे में लिखा करता है की हिन्दी की सर्वाधिक पदी जाने वाली पत्रीका,अब पहले से इस नंबर पर आगई है , हम इसे आत्मप्रशंसा समझते थे ,पर जब से इंटरनेट पर तमाम , कई तरह के फोरम,ब्लाग,के नमूने खोल कर जो सुविधाए लेखकों,पाठकों को दी गयी हैं उससे लगता है की यह सब सही है. हमें सबसे जो अच्छी बात लगी वह यह की फोरम ने सामाजिक घटनाओं का जो पर्दाफ़ाश करने का बीड़ा उठाया है, उसमे इस पत्रिका का महत्व बड़ा है और वह सही में अपने सामाजिक धर्म का नीर्वाह कर रहा है! फोरम प्राय: आने ब्लॉग में समस्या को उठाते हुय्ये अंत में पांच सवाल दाग कर पाठकों और बुद्धिजीवियों से उनके विचार जानना चाहता है उससे समाज का रीअक्षण भी हम जान पाते है.यह ज्जागारण की सबसे बड़ी उपल्ब्ध्ही है! हम आभारी है उनके इस कदम के!
अब हम एक और बात कहने की और ध्यान आकर्षित कराना चाहते हैं , इस पत्रिका का, वह है की जब कोई हाई प्रोफाइल का केस होता है जिससे उनको मसाला मिल जाए या कुछ और भी मिलता होगा हम नहीं कह सकते,को मुखरता से स्थान दिया जाता है यह मीडीया का अब फैशन सा बन गया है! साधारण आदमी के केस को या तो नहीं लिया जाता है या फिर उन्हें कम् महत्व से छापकर अगले दिन से भुला लेना ही उचित समझा जाता है. क्योंकी जागरण भी एक मीडीया है तो वह अपने भाईयों से अलग कैसे हो सकता है? तमाम ऐसे केस होते हैं इस समाज में पर जब मद्रेना, कांदा,गीतिका,चाँद बाली,भावरी मध्मिता, अमरमणि त्रिपाठी ,नैना, मसूद,तिवारी,रोहित,उज्जवला शर्मा को तो लिया जाता है पर क्यों सामान्य लोगों को नहीं ? अब मीडया यह न कहे की उन केसों का हमे मालूम ही नहीं पड़ता है? तो ब्भाई जी आप तो खोजी—– हैं, आपको खोजने का काम करंना चाहीये, तभी तो यह बात सही होगी जो आप के सम्मान में कही जाती है ‘ जहां न पहुंचे दाता वहां पहुंचे संवाददाता ‘ आज प्रजातंत्र का मजबूत और चौथा खम्भा कहलाने और माने जाने के कारण आप लोगों का मान बढ़ा है तो इसका म्मतलब यह नहीं की आप और ऊँची उढ़ान भर के अपने कर्त्तव्य से विमुख हो जाए? यदी मीडीया ने सही और ईमानदारी से अपना काम नहीं किया तो यह चौथा खम्भा जल्दी ही गिर ज्जयेगा और इसके स्थान पर कोई और विकल्प आने में देर नहीं होग्गी!तब आपको टापते रह जाने के सीवाय ओर कोई उपाय नहीं रहेगा! हम जागरण के बहुत आभारी है ! जय भारत ,जय हिंद !
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