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हर बार की तरह इस बार फिर डीजल और घरेलु गैस के दाम बढाने से रसोई का बजट बिगर गया है . क्या सांसदों का खर्चा घटाया नाही जा सकता?उन्हें मिलने वाली सुविधाओं को कम कर के ,भत्ते,कार, पेंशन ,बिजली, फोन पेट्रोल सब फ्री हैं तो यदि इसमे कमी की जाये तो दो फायदे होंगे.१- उनका संसद के प्रति आकर्षण कम होगा और २- सही में सेवा भाव वाले लोग ही आ पायेंगे इस मैदान से! दागी लोग,मवाली,टपोरी,लठैत,भू माफिया,गुंडे ,जो नेतागिरी का लाभ लेकर गलत काम करते है,संसद में हल्ला करके,उसे न चलने देने से जो सरकार की हानि होती है वह अलग! ऐसी हालत में ये लोग भत्ते तो लेते ही हैं.सरकार की विवशता यह है की,इन नियमों को पास करने वाले भी तो यही सांसद हैं? सुविधाएं बढाने के नाम पर सब एक हो जाते हैं.हमारी गरीब जनता के पसीने की कमाई जो टैक्स के रूप में वसूली जाती है ये लोग डकार जाते हैं. अमेरीका और अन्य देशों में जनता से लिया गया टैक्स जनता के हित में खर्च किया जाता है.अमेरीका के हर शहर के पार्कों में जू रख रखाव है उसे देखेंगे तो दग रह जायेंगे?? हर पार्क में सुन्दर व्यवस्था है ,यहाँ बच्चों के झूले बेहतरीन नमूने के, बैठने का अछा इंतजाम,,यह एक मोटा उधाहरण है,टैक्स का रिफंड है तो बिना किसी तकलीफ,रिश्वत के आपके घर आ जाएगा वह भी तुरन्त ही .और भी कई बाते हैं .जिन्हें मै अपने ब्लॉग ‘भारत और अमेरीका’ नामक शीर्षक में लिख चुका हूँ.पर अपने देश मे तो ‘जन’ नहीं, ‘हम’ प्रतिनिधि ही बन कर जनता की रसोई को लूट रहे हैं.
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