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काला धन या काला सोना?–jagran junction forum

सपाटबयानी
सपाटबयानी
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आज कल समाचारों में सोने के दाम रोज घटते ,बदते देखे जाते है.उसे ये लोग पीली धातु कहते हैं .एक फिल्म आयी थी अमिताभ बच्चन की “काला सोना” इसमे ‘कोयले’ को ही ‘काला सोना’ कहा गया था! पता नहीं यह भविष्य वाणी थी जो आज सच सी हो गयी है हमारे देश के पी.एम. साब इस काले सोने में ऐसे फंसे हैं की सरकार को गिराने पर जिद कर रहे हैं विरोधी? ये कोयला भी सोना है हमें तो आज मालूम हुआ है जब हमारी सरकार के लोग इससे कोरोड़ो कमा चुके हैं.जब घरेलू गैस नहीं हुआ करती थी तब बेकार में इस कीमती कोयले (अब सोने) को जला डाला हमने ? कहा जाता है की हमारे देश को आज भी ‘सोने की चिड़िया’ कहा जा सकता है,इतना सोना है हमारे देश मे!
चिन्नई के साईं बाबाके,आंध्र प्रदेश के तिरुपत्ति बालाजी,केरला के कई मंदिरों ,मुम्बैई के मनमाड के साई बाबा के और सिधिनायक, अमिरतसर के गोल्डन, अहमदाबाद के नारायण स्वामी के,और जम्मू के वैशनो देवी के, मंदिरों में इतना सोना है की आज भी हमारा देश वही चीडिया है याने सोने की! इनके अलावा तथाकथित साधुओं -बाबा राम द्देव,आसाराम,सुधांशु महाराज, माँ आनंदमूर्ति जैसे न जाने कितने और प्रवचन कर्ता होंगे जिनके पास अथाह सोना होगा? जो हमारे देश की गरीबी को यूं ही मिटा सकते हैं!अब सवाल यह है की ये दान में मिला सोना जिसने भी दिया होगा क्या वह सब एक नंबर का रहा होगा? यदि नहीं तो यह काला धन नहीं हुआ? इस दान में दिए सोने और नकद पैसे पर न तो देने वाले ने, ना ही मंदिरों के ट्रस्टों ने किसी तरह का टैक्स दिया होगा ? तो यह भी तो हुआ न काला धन? यह पीली धातु काली धातु ही कही जानी चाहीये! जो सरकार की ही है.हम मंदिरों के भक्त कैसे सो पाते है, कैसे खा पाते हैं जब हमारा पड़ोसी भूखा सो जाता है?,उनके बच्चे बिना इलाज के दम तोड़ देते हैं और पैसे के अभाव में स्कूल नहीं जा पाते हैं?
हमारे बाबा राम देव इस अभियान को चला रहे हैं की विदेश से काला धन वापिस लाओ और सरकार के लिए मुशकिलें पैदा कर दी हैं,उनकी बात तो सही है पर इससे भीसरल काम यह नहीं है की जो अपने ही देश में काला धन यूं ही पडा है उसे निकलवा दें , मतलब जो मंदिरों में है,उसको देश के उत्पादन में यदि लगाया जाए तो कया यह देश सोने की चिड़िया नहीं हो जाएगा? तमाम लोगों को रोजगार भी मिल जाएगा ! अरविन्द केजरीवाल भी रामदेव की तरह कहते फिरते हैं की विदेशों से काला धन मंगवाओ,पर अपने ही देश से जब काला धन नहीं निकलवा सकते हो तो बाहर से कैसे आ जाएगा काला धन? पहले सरल काम तो कर लो !
बाकी यह न कहा जाय की धार्मिक संस्थाओं में हाथ डालने से लोगों की धार्मिक भावनाओं को ठेस लगेगी, तो यह कोई बात नहीं मानी जानी चाहीये , जब देश के भाई लोग भूखे मर रहे हों तो यह बात कोई मायने नहीं रखती?
अब अंत में कड़वी बात कहने जा रहा हूँ , वह यह की ये बाबा लोग जो ‘पैरासाईट्स’ हैं, इस देश के, सीधे लोगों को ठग रहे है , इस धरती पर बोझ हैं! उनका काला धन पहले निकलावाना चाहीये! विदेशों में नेताओं के धन को बाद में निकलवाने की बात करें सरल काम पहले हो, तो क्या बुरा है?

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