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;हमारा देश जहां विश्व में प्राचीन संस्कुर्ती का केंद्र माना जाता है , वहीं ‘बनारस’ शहर इसका प्रमुख नगर है और इसके पास ‘सारनाथ’ के तो क्या कहने? बस हम इसे आज भी धरोहर के रूप में मानते आ रहे हैं और इसमे कोई बनावटीपन या झूठ नहीं है! इस शहर और संसकिरती पर एक फिल्म बनी है ‘बनारस”! इसे सभी लोग तो पसंद करेंगे और भी जो भावुक,अपने को भगवान के निकट मानने के पक्ष में हैं ,को बहुत ही अच्छी लगेगी .हालांकि इस शहर पर पहले भी एक फील्म आयी थी “संघर्ष” जिसमे यहाँ के छल कपट को दिखाया गया था ,जो अपने अलग किस्म की कहानी को समेटे हुए थी उसमे फ़िल्मी मसाला था,पर वर्णित फिल्म अलग किस्म के कारण बहुत ही उम्दा है.सार के रूप मे यह है, की मंदिर , मसजिद,गुरुद्वारे,काबा और कैलाश की इच्छा क्यों है हमारे मन में? आप के अन्दर ही है भगवान! आप के मन में सच है तो वही सुन्दर है ,सुन्दर ही सच है और वही भगवान है,मतलब की हर मनुष्य भगवान है !यह सही होते हुए भी हम मंदिर, में जाने की इच्छा क्यों रखते हैं? यही तो संत कबीर कह गये थे — “हे बन्दे मोहे कहाँ ढूंढें,में तो तेरे पास में ,ना मैं मस्जिद ना मैं मंदिर, ना में काबे कैलास में !” मन को शान्ति प्रदान करने वाली यह बहुत ही उम्दा फिल्म .
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