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ऍफ़.डी.आई.!!!

सपाटबयानी
सपाटबयानी
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आज तक इस विषय पर काफी लिखा जा चुका है जिससे अब तक बहुत ही जानकारी मिल गयी होगी तमाम उन लोगों को जिन्होंने इस विषय में रूचि ली है.हम इस नतीजे पर पहुंचे है की कुल मिलाकर अभी इसके परिणाम भविष्य के गर्भ में हैं, सरकार के आगे सभी बौने ही साबित होंगे औरजैसा सरकार ने तय किया है वही होना है चाहे आप लाख बंद का आयोजन क्यों न करें?,विरोध करें , चलेगी सरकार की ही! तमाम विद्वानों,विशलेषकों और अर्थ शास्त्रियों ने तमाम सोचने के बाद में कोई साफ़ राय नहीं दी है,इसका मतलब सब अँधेरे में ही है.मै कांग्रेस का न तो आदमी हूँ , न ही उनके फैसले का समर्थन करता हूँ फिर भी मेरे अनुसार जब हम २१ वीं सदी में जाकर विक्सित होने की बात करते हैं और हम अमेरीका जैसे देशों की लाइन में खड़े भी होना चाहते हैं तो इस व्यवस्था को अपनाने से डरते क्यों हैं? क्या कमी है इसमे? एक समय था कम्पूटर का विरोध हुआ था,आज कितना न लाभ है ?, कितने न रोजगार मिलें हैं, कितने भारतीयों को देश और विदेशों में जाब मिलें है? और बाहरी देशों में काम करने वाले न जाने कितने डालर्स कमा कर अपने देश में भेज रहे हैं ? अमेरीका में एक डालर का भारत में ५५/- हो जाता है,उनके परिवार वालों का जीवन स्तर जो सुधरा है उसका अंदाज केवल उन्ही परिवार वालों को है जिनके बालक या बालिकाएं बाहरी देशों में हैं,यह आधुनिकता का, और विकास की दिशा में बदने के कारण ही हो सका है! फिर जब आज किसी को भी ‘वाल मार्ट’ के आने से होने वाले नुकसान की सही- सही जानकारी है ही नहीं तो इसे केवल विरोध के लिए ही विरोध करना माना जाएगा! यह एक प्रयोग मानकर भी चला जा सकताहै ,जब ये कम्पनियां हमारे देश में चल ही नहीं पाएंगी तो अपने आप ही नहीं उखड जायेंगी?
आप देखें ,कोई और चारा भी तो नहीं है? मैंने पहले ही कहा है, की चलेगी तो सरकार की ही, और कोई कुछ भी नहीं कर सकेगा! ममता ने धमकाया ,समर्थन वापिस भी लेने की बात है तो क्या सरकार गिर जायेगी? नहीं, यहाँ दूसरे दल के लोग अपने सांसदों को लेकर (,ममता जी से भी ज्यादा सांसदों को लेकर ) जो खड़े हैं ! महामहिम के चुनाव के समय मुलायम ने ममता से धोखा करके मनमोहन से अपने बेटे के राज्य के लिए अनुदान नहीं वसूला? अब भी ममता के जगह पर आगे आकर कोई फायदा कर सरकार को बचायेगा और पैसा लेकर मरेगा यह मुल्ला मुलायम सिह! ये नहीं भी हो,तो पार्टियों के पास बहुत धन है ,खरीद फरोख्त क्या बंद थोड़े ही हो जानी है? कुल जमा बात यह है की—“होई वही जो मनमोहन रच राखा!

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