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भक्त की तलाश में है भगवान !!!

सपाटबयानी
सपाटबयानी
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अभी-अभी एक फिल्म आयी है- ‘ओ माई गाड’ यह फिल्म मेरे हिसाब से एक बेहतरीन फिल्म मानी जानी चाहीये! हंसी मजाक के साथ-साथ समाज में फैले अंध विश्वास को दूर कर,समाज पर बोझ बने रहने वालो की करतूतों और कारनामों को भी स्पष्ट करने का प्रयास किया गया है! जो अपनी चतुराई से लोगों का खून चूस रहे हैं! इन्हें यदि हम ‘परासाईट’ कहें तो गलत नहीं होगा?
आप यदि मंदिर,मस्जिद में भगवान् को तलाश रहे हैं, तो घर ही में बैठे रहे, भगवान ही आपको ढूढने आरहे है! आप इस ज्ञानवर्धक फिल्म को जरूर देखें या फिर इस पोस्ट से ही काम चला कर भगवान् का सानिध्य प्राप्त करलें!
आस्तिक और नास्तिक का अंतर:-
आस्तिक और नास्तिक के अन्तर को बताते हुए कहा है की जो मंदिर,मस्जिद या गिरजे में जाते हैं वे आस्तिक नहीं है वे तो लेने देने की बात करते है,वे ‘एक्सचेंज आफर’ की बातें करते हैं! वे मंदिर में जाकर भगवान ,खुदा या ईशु से बदले में कुछ माँगते है! स्वार्थवश ही इन जगहों पर जाते हैं ,फिर भगवान में विश्वास की बात कहाँ? कौन आस्तिक और कौन नास्तिक ?, फिल्म में परेश रावल मूर्ती की दूकान चलाने का काम करते हैं फिर भी वे मूर्ती पूजा का विरोध करते हुए कहते है की आप मंदिरों में जाते है, तो क्या भगवान मिल जाते हैं? नहीं ना! क्योंकि भगवान तो आपके अन्दर ही है आप उसे बाहर देखते फिर रहे हो तभी तो वे नहीं मिलते? यह भी सही है की भगवान् कोई करिश्मा नहीं करते,न ही खुद कोई काम करते है,वरना वो तो खुद ही महाभारत को चुटकीयों में ही न जीत जाते? पर उसने यह काम अपने सच्चे भक्त अर्जुन से करवाया! वे जिसकी मदद करना चाहते है तो उसे ऐसी बुद्धि दे जाते है की उसका काम हो जाता है! यही तो उसका करिश्मा है! पर उसकी एक शर्त है-भक्त के मन में सच्चाई हो ,सच्चे भक्त होने की शर्तें पूरी कर सकता हो!
फिल्म में परेश रावल ने बहुत ही अच्छा काम किया है साथ में अक्षय कुमार,ॐ पुरी,मिथुन और गोविन्द नामदेव के साथ अरुण बाली की भूमिका भुलाई नहीं जा सकती! इस फिल्म में जो सन्देश दिए गए हैं वे काबिले तारीफ़ है! फिल्म में हर धर्म के पवित्र ग्रंथो को समान आदर देकर बताया गया है की हर मजहब में एक ही बात कही गयी है,भगवान् का असिस्त्व है, ईशवर,खुदा और प्रभु ईशु सब एक ही है,और उनकी मर्जी के बिना पत्ता भी नहीं हिल सकता! वह मंदिर,मस्जिद या गिरजे में नहीं है, वह हर सच्चे मनुष्य के अन्दर है, आप उन्हें यदि बाहर देखने की कोशिश करोगे तो वह नहीं दिखाई देगा! om puree dwaaraa yah bataane kee koshish kee gayee hai ki hindu muslim ke binaa bhed ke, ek doosare kee madad karanaa hee uchit hai isaleeye apane majahab ke logon dwaaraa virodh ke baad bhee vah sahee raahpar chane waalon kee madad ke himaayatee hain aur madad karate bhhee hai,
मंदिरों के महंतों,पंडितो को सेल्स मैन बताते हुए कहा है ये लोग तो धंधा चलाते है ,इनके बहकावे में न आयें! मंदिरों,मस्जिदो और गिरजों में चढ़ावे के धन,वस्त्र और दूध,तेल,फलों को गरीबों में बाँट दें तो अच्छा होगा! देश के गरीबों का तो भला हो जाएगा! यह फिल्म सन्देश देती है की सच्चे भक्त की सच्ची बातें ( अकाट्य तर्क ) उसके न मानने वाले की भी हों तो भगवान उसकी मदद को सदैव ही तत्पर रहता है! और उसके आगे उसकी मदद को आना ही पड़ता है! जिस तरह सच्चे भक्त को भगवान की तलाश रहती है उसी तरह भगवान् को भी सच्चे भक्त की ही जरूरत होती है! फिर नास्तिक और आस्तिक शब्द तो लोगों और मंदिरों के दलालों द्वारा ही बनाए गए हैं इन शब्दों का कोई भी मतलब नहीं होता? कहने में संकोच नहीं हो रहा है की भगवान् को मंदिरों में न ढूढने की बात पर विश्वास दिलवाने के बाद भी वह डरपोक स्वभाव के कारण फिर मंदिरों में उसे ढूढने जाएगा!
कुल मिलाकर आपके मनोरंजन के साथ आपको हंसाने वाली फिल्म में जो बाते कही गयी है उसका तो मोल ही नहीं है! आप इसे देखने के बाद भगवान और इन बन्दों को जान पाएंगे, जिन्हें हम महंत,पुजारी,संत और न जाने क्या क्या कहकर अन्धकार में रहते है और जनता को भी अन्धकार में रखते हैं!
अंत में यह भी सन्देश है की आप भगवान् से अपनी समस्या के समाधान का रास्ता ही पूछें,उनसे कहें की आपको ऐसी बुद्धि दें ,ऐसी शक्ति दे किआप इस समस्या को सुलझा सकें! न की उससे समाधान करवाने को कह कर बैठ जाएँ, करना तो आपको ही है, यह न भूलें! किसी ने सही कहा है की– “भगवान् उनकी मदद करते हैं जो अपनी मदद खुद करतें हैं ! निचोड़ ;–
१-सभी धर्म मानते हैं की भगवान् ,यीशु,पैगम्बर एक ही है और उसके बिना पत्ता भी हिल नहीं सकता .
२-नास्तिक और आस्तिक कुछ भी नहीं है.
३-भगवान् अपने में ही है,उसे मंदर,मस्जिद या गिरजे में मत ढूंढो .
४-ये दलालों की दुकाने हैं,और महंत,पुजारी,सेवादार सब दलाल हैं.
५-भगवान् रास्ता बताते हैं पर करना सब आपको ही है.
६-यदि आपका तर्क सही है ( आप सचे हैं ), तो आपके साथ हर व्यक्ति और भगवान् का साथ हो जाता है!
अब इन बातों को जानने बाद भी मनुष्य ये बातें भूल कर उसी राह पर चलने लग जाता है, क्योंकि वह डरपोक है!

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