खाप पंचायतें और सरकारी आदेश-jagran junctioon forum
सपाटबयानी
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सरकार की तरह कस्बों और गाँवों में पंचायतें भी अपने कानूनों को चलाती हैं! छोटे छोटे झगड़ों पर अपना निर्णय देकर कुछ हद तक अपने स्तर पर निपटारा करती हैं,जिन्हें लोग मान कर स्वीकार कर लेते हैं ! इससे कोर्ट कचहरियों में खर्च होने वाले पैसे और समय की बचत हो जाती है! कहीं-कहीं पर तो ये पंचायतें मान्यताएं भी प्राप्त है! इसी तरह कहीं-कहीं इन्हें ‘खाप’ के नाम से भी जाना जाता है, जिनके कायदे और क़ानून सरकार से कुछ अलग हैं या कहें की सरकार के कायदों के विरोध में जाते है! वहां पर तमाम दिक्कते आती हैं ,इनके सरपंच अपनी ‘खापों’ के बारे में यह तर्क देते हैं की ये तमाम पहले से है और अपने हिसाब से निर्णय करती आ रही हैं,इसलिये ये जो करती है वही ठीक है! पर यदि पुराने समय के बाद अब नए नियम बने है तो क्या आप जिद कर अपनी ही चालायेंगे? तब तो सब अव्यवस्था ही हो जानी है, आप को तो परीवर्तन को स्वीकारना ही होगा! जैसे जमीन जायदाद खरीदने और बेचने पर एक समय में जो सरकारी स्टाम्प लगते थे और क्या आज भी वही स्टाम्प देंगे, यह कह कर की हम तो पहले इतना ही देते थे?, नहीं चलेगा! कहने का मतलब यह है की समय और हालात के अनुसार होने वाले परिवर्तन के साथ चलना होगा! आज हमारा समाज तमाम बुराईयों का खजाना बनता जा रहा है, हर घर में बालक और बालकाएं अपने हिसाब से आधुनिक बनने के चक्कर में अपने बड़ों को नहीं मानते है! घरों में बहुओं और बेटों द्वारा जो स्थिति बन गयी है, वह किसी से भी छिपी नहीं है,छोरियां खुले आम छोरो के साथ खुला सेक्स करने में रुकावटों के विरुद्ध ही विद्रोह पर उतारू हैं,ऐसे में कोई मामला यदि ‘खाप’ में जाता है तो वे ऐसी सजा सुनाते है जो सरकारी नियमों की खिलाफ पड़ती हैं, अब कोई युक्ति नहीं समझ में आती! पहले शादी की कोई उम्र तय नहीं हुआ करती थी, और उसके बाद समाज की कुरीतियों को दूर करने के लिए सरकार ने शादी की आयु तय कर दी है, उससे पहले शादी करने पर बड़े दंड का विधान है ! कम उम्र में शादी करने से अन्य परेशानियों के साथ शायद देश की जनसंख्या पर रोक लगाना भी था! जिसमे सरकार फेल हुयी है! क्या सरकार से कोई पूछे की अपने पड़ोस के देश चाईना की जनसंख्या को रोक लगाए बिना कैसे उस देश ने आज तरक्की की है? आज वह हर देश में अपने यहाँ निर्मित सामान ,हर तरह का सामान निर्यात कर अपने देश को ‘मेड इन चाईना’ का पर्याय बनाया है? तो कहने का मतलब यह है की जनसंख्या कोई कारण नहीं बनता है देश की तरक्की में ? समाज में लड़कियों और लड़कों द्वारा खुले सेक्स के प्रदूषण को रोकने के लिए अब यही खापें सरकार से यह मांग करने लगी है,की शादी की आयु को कम करे,ताकि लडके और लड़कीयों के इस तरह समाज में फैलने वाले प्रदूषण को रोका या समाप्त किया जा सके! पर खापों का दायरा तो सीमित है, यह बात वहां लागू भी हो गयी तो शहरों और महानगरों की लड़कियों और लड़कों को कौन रोकेगा जब की वे तो किसी भी कायदे और क़ानून के खिलाफ खड़े हो लेंगे? दूसरी बात यह है की चाहे गाँवों में ही यह लागू हो जाए तो उन लड़कीयों का क्या होगा जो आगे और भी पढ़ना चाहती है?, तब इस पढाई के बहाने फिर वही खुले सेक्स की बात नहीं आयेगी? क्या कोई माँ बाप रोज अपनी बेटी को घर से स्कूल तक छोड़ने जा सकते है? इसके अलावा शहर में तो आज लडके और लड़कियां खूब खुल कर ऐश करने के पक्ष में रहते है. वे जब तक रोज एक दूसरे से मिले नहीं, कोका कोला की एक बोतल में दो स्तरा डाल कर ख़त्म न करे तब तक काहे की दोस्ती और कैसा प्यार? उन्हें सार्वजनिक रूप से मेट्रो में, माल्स पर और बाजारों में हाथ में हाथ डाल कर,लडके के द्वारा लडकी की कमर में हाथ डाल कर घूमने के बिना मजा ही नहीं आता! और यह सब तभी तक संभव है जब तक उनकी शादी नहीं होती और शादी के पहले ये सब करती हैं या करते हैं तो चलेगा फिर उसके बाद यह न तो आकार्शक लगेगा न ही महत्त्वपूर्ण! इसलिए ये कभी भी नहीं चाहेंगे की उनकी शादी कम उम्र में हो या जल्दी हो! शादी से पहले ये दोनों एक दूसरे के पीछे चकरघिन्नी सी बने फिरते हैं, शादी के बाद कुछ भी नहीं है संभव! तो ये शादी नहीं करना चाहेंगे और जल्दी से कम उम्र में तो बिलकुल ही नहीं! क्योंकि पति या पत्नी से वे नखरे,रूठना कैसे संभव हो सकेगा वहां तो बंधन ही बंधन जो होंगे ? यही कारण है की खाप वाली बात अधिकाँश जगह पर फेल ही होगी! खाप के ये विचार सही होकर भी किर्यान्वित हो पायेगी, असंभव सा लगता है! आज कल तो यह ऐब भी नहीं रह गया है की शादी कर लो, फिर छोड़ दो और अपनी दूसरी ढूंढ लो, कई लडके और लड़कियां इसी तरह की जिन्दगी के पक्ष में है! कम उम्र की शादी का प्रस्ताव कुछ सही लगकर भी बेकार सा लगता है! हम उस स्थान से चलकर फिर वापिस नहीं जा सकते !यह एक तरफा यातायात की तरह है! ,
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