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बलात्कार का अर्थ ?–jagran junction forum

सपाटबयानी
सपाटबयानी
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भारत के ओडीसा प्रदेश की भाषा, ‘ओडीया’ में बलात्कार का अर्थ है ‘बलपूर्वक’ किसी क्रया को किया जाने वाला काम ! इस भाषा में कोई किसी से जबरदस्ती ‘पेन’ या ‘पैसा’ या अन्य वस्तु बिना सहमति से लेता है या छीनता भी है तो उसे ‘बलात्कार’ कहते हैं! लेकिन हिन्दी भाषा में इस ‘विस्तृत’ अर्थ का अर्थ ‘संकुचन’ होकर अब केवल एक ही अर्थ में माना जाने लगा है! जिसका आजकल नेताओं द्वारा किया जाने वाला काम होने लगा है! हम कह सकते है की बलात्कारी मायने ‘नेता’ या नेता मायने बलात्कारी! (नताओं के संधर्भ में बलात्कारी का मतलब है किसी मजबूर, जरूरतमंद ,लड़की ,औरत या महिला के शरीर से खेलना,उसकी अस्मत से खेलना!,उसकी सहमति से!) यदि नेता ने ऐसा नहीं किया है , तो वह नेता ही नहीं है?
आज हमारी सरकार में हर नेता यह कर्म किये हुए होगा लेकिन बात वही की ‘जो पकड़ा जाए वह चोर नहीं तो साहूकार’! अक्सर नेताओं के सम्बन्ध में देखा गया है की उन्हें तो बलात्कार करने की जरुरत होती ही नहीं है, वे तो सिर्फ कांटे में चारा ले कर बैठ जाते हैं,शिकार तो खुद ही चला आता है! या फिर वे लोभ देकर जताते है की वे उनका कोई फ़ायदा करवा सकते है! अब जब मंत्री हैं यह काम यह उनके लिए कोई बड़ी बात है भी नहीं! सो मच्छली फंस ही जाती है! इसलिये नेता कभी भी बलात्कारी नहीं होते, या कह सकते हैं की उन्हें बलात्कार करने की जरूरत ही नहीं पड़ती! अब खरबूजा ही आकर छुरी पर गिर पड़े तो छुरी का क्या कसूर?
हिन्दी में कहावत है की ” जो हाँ कहे उसे छोडो मत और जो ना कहे उसे छेड़ो मत ” मद्रेना ,चंदर मोहन,गोपाला, एन डी तिवारी और अमरमणि त्रिपाठी जैसे लोगों को बलात्कारी नहीं मानना चाहीये,बल्कि वे तो ‘एक्स्चंज ऑफर’ का काम करते हैं आपके काम करने की फीस वसूलते हैं! हाँ उन्हें एक अलग ‘कटेगरी’ में हम रख सकते है, वह है की उसकी मजबूरी का फ़ायदा उठाने के बाद ,कोई लड़की है और वह मुक्त होना चाहती है तो उसे मजबूर न करें, और ऐसा न करे की वह आत्महत्या करने को विवश हो जाए! भाई जब तक मकान में रही किराया दिया अब अगर वह आपका मकान छोड़ कर जाना चाहती है तो जाने दो उसे! गोपाल कांदा और गीतिका का केस कुछ ऐसी ही किस्म का है जिसे सहमति कहा जा साकता है न की बलात्कार! यह बलात्कार से भिन्न इसलिए था क्योंक्की उसे मजबूर किया गया! वैसे ये लड़किया जहाँ तक नौकरी की बात है ,करें पर और अधिक पाने की चाह रखेंगी तो वही बात होगी की “लोभ पाप का मूल है ” इस तरह के पापो के पीछे लोभ ही कारण होता है , फिर आपको फायदा पहुंचाने के बदले में कोई कुछ तो चाहेगा ही जरूर वरना आप अपनी सामान्य सी नौकरी करती रहें ज्यादा चाह न रखें !
अब हम शीर्षक के अर्थ पर आ रहे हैं,जो लोग धोखे से या बहलाफुसलाकर लड़की को ले आते है, और जोर जबरदस्ती कर बलात्कार की घटना को अंजाम देते हैं तो उस वातावरण की कल्पना कर के ही क्या न खौफ महसूस होता है? बेचारी असहाय बाला के मन पर क्या न बीतती होगी ? हम पुरुषों की हालत कैसी न भयावह हालत हो जाती है इसे सोच कर ? ,उस बेवश लड़की की हालत क्या होती होगी? क्या कल्पना की जा सकती है? ,नही, यह कल्पनातीत है! फिर ये बदमाश किस्म के लोग जिस तृप्ति और तथाकथित आनद के लिए यह करते होंगे क्या उन्ही यह लाख्ष्य प्राप्त होता होगा? नहीं, तो क्या फ़ायदा,ऐसा करने से? वास्तव में इसे ही बलात्कार कहते हैं और कहना चाहीये!
बलात्कार और आपसी सहमतिके सम्बन्ध में यह कहा जा सकता है की धोखे की संभावना आपसी सहमति में हो भी सकती है और नहीं भी ( लगभग नहीं होती ) पर बलात्कार में धोखा तो पहले से ही तय है धोखे के बिना बलात्कार हो ही नहीं सकेगा! और सहमति में धोखा पहले न होकर बाद में हो भी सकता है और नहीं भी!
हम अब इस निरनय पर पहुंचे है की हमारे नेता बलात्कारी तो बिलकुल ही नहीं हैं! और चाहे कुछ भी हो ( वे हत्यारे हैं,ह्त्या करते हैं,हत्या करवाते हैं,और आत्महत्या करने पर विवश करते हैं ) !
अब अंत में एक और बात करके हम अपनी पोस्ट को विराम देना चाहेंगे की भगवान ने औरत को एक उपहार दिया है , उसे मर्द की आहट से ही उसकी नीयत का पता चल जाता है फिर क्यों उससे अनजान बनी रहती हैं?, इसका मतलब हुआ की आप जान बूझकर उस मंजिल पर जा रही है, जिसका अंजाम बदनामी और फिर आत्महत्या होता है!

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