हमारी सुसंस्कृति का महत्वपूर्ण ग्रन्थ है “महाभारत”! भले ही इसमे परिवार के झगड़ों की गाथा कही गयी है पर इनके अन्दर जो छोटी-छोटी कहानियाँ हैं,वे हमारे लिए प्रेरणा ही छोड़ जाती है और इन्हें अपने जीवन में उतारने से एक आनद की जो अनुभूति होती है वह तो गूंगे का गुड ही है, जिसको बताने के लिए वाणीकी जरूरत नहीं होती,मात्र महसूस किया जा सकता है! वैसे तो महाभारत के सभी पात्रों का अपना-अपना महत्व ही है पर फिर भी दो भाईयों में इतनी बड़ी कलह रेखांकित किये जाने वाली बात बन जाती है! जागरण के ब्लॉग लिखने वालों में दो महत्वपूर्ण विदानो, श्री एस.पी सिंह और श्री संतोष कुमार जी की पोस्ट से कुछ बातें उभरकर सामने आयी हैं उनमे मैंने भी कुछ सवाल खड़े किये है जिनका जवाब मैने दोनों से चाहा है, पर क्या इतने महत्वपूर्ण ‘महाभारत’ की बातों का जवाब देना सरल है? सो आप विद्वान् यदि कोई हल दे सकें तो मदद होगी! १- उस काल में क्या लड़कियां,लड़कों के अनुपात में कम रही थी की द्रौपदी के पिताश्री ने अपनी राजकुमारी बेटी पांच भाईयों के संग ही ब्याहा दीं? २- क्या द्रौपदी पांचाल नरेश उसी राजा दुर्पद की कन्या थीं, जो राजकुमार दुरपद के नाम से बचपन में द्रौण के सखा के रूप में आशरम में साथ-साथ शिक्षा पाते थे?३- भीम द्वारा आदेश पाकर ‘अशव्थामा’ हाथी को मारने और ‘नरो वा कुंजरो वा’ कह कर जो चतुराई धर्मराज द्वारा की गयी, क्या यह उनके चरित्र पर सवाल खडा नहीं करता है? ४- द्रौनाचार्य के आदेश से पांडवों ने पांचाल नरेश दुरपद को बंदी बना कर लाने का कार्य क्या उचित था? और इस कार्य को गुरु दक्षणा के रूप में करने को कहा गया था !इतने बड़े विद्वान् को अपने बचपन के सखा से द्वेष क्या उचित लगता था? जब की दुरपद नरेश हो कर भी सदा उनके सामने नतमस्तक ही रहा करते थे! ५- आचार्या द्रौनाचार्य एक आश्रम में शिक्षा देते थे, जब दुर्योधन ने उन्हें गुरुगांव दान स्वरुप दिया तो दिया तो अब उन्हें दुरपद से आधा राज्य छीन कर अपने राज्य में मिलाने का लालच क्या आशरम के सन्यासी को शोभा देता था ? ब्लॉग रीडरों से निवेदन है की उक्त सभी प्रशनों में हो सकता है, गलत भी हो, पर इसेसुधार कर समझा सकें तो आभारी हूँगा!
This website uses cookie or similar technologies, to enhance your browsing experience and provide personalised recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy. OK
Read Comments