सर्वविदित है की कुछ पान्रे के बाद कुछ खोना पड़ता है ! हमने विकास किया जरूर है पर उसकी बहुत बड़ी कीमत भी चुका रहे है ,जिसका अंदाज अभी न लगते हुए, हम अंधी दौड़ में देख नहीं पा रहे हैं! आज हमें मोबाइल,लैपटॉप ,टैबलेट, के प्रयोग से फायदे तो हैं ही, पर इसके गलत प्रयोग से जो नुकसान हो रहे है, हम नहीं देख पा रहे है यह चिंता का विषय है! कल मुझे एक सन्देश मिला- आप मुझे ४००० डालर दे दें, मै परेशानी में हूँ और आप कहें तो मैं अपना बैंक खाता भेज दूं ,आप विश्वास माने दो दिन में वापिस कर दूंगा! मैं इसे पढ़ कर हतप्रभ रह गया, ( ४००० x ५५/- = २२००००/- दो लाख बीस हजार भारतीय रुपये ?,इतनी बडी रकम मैंने सही में कभी नहीं देखी ) मैं न तो इस नाम को जानता हूँ , न कभी इससे बात हुई है, कैसे इतनी हिमाकत कर दी इस अनजान ने? मैंने बड़ी शालीनता से जवाब दिया- महोदय जी, १-आप मेरी जगह होते तो क्या किसी अनजान को इतनी बड़ी रकम के लिए कहते और वह दे देता? २-आपको मेरी आर्थिक स्थिति का पता है, की मैं इतनी बड़ी राशि को दे सकता हूँ? ३-आप यदि दो दिन में दे सकने की बात कर रहे हैं तो यह काम दो दिनों के बाद क्यों नहीं करते ? बस इसके बाद उसका कोई नामो निशाँ नहीं देखा! मुझे ताजुब हुआ और आज तक नहीं समझ पाया की इसे कैसे मालूम हुआ की मैं इस समय अमेरीका में हूँ, क्योंकि उसने डालर्स की बात की? एक जानकार से पूछा, तो उसने बताया की आपने उसे फ्रेंडशिप के लिए जाने अनजाने में बटन दबा दिया होगा, सो हो गया आपका फ्रेंड! आप किसी भी अनजान को फ्रेंड न बानाएं! बात मानकर चुप हो गया! अब सोचता हूँ की फ्रेंड बनाने के लिए पहले तो हर आदमी अनजान होता ही है! जानकार तो पहले से ही फ्रेंड बना हुआ होता है! इस घटना के बाद लगता है की धोखा ही धोखा है यह फेस बुक? अब लगता है इस सुविधा से मनोरंजन का लाभ कम, किसी धोखे से नुकसान होने की संभावना से बच नहीं सकते! दूसरे मैं इस फील्ड में एक दम नया-नया हूँ ,अमेरीका में बहुत समय मिला है तो बैठे-बैठे लेप टॉप पर करते-करते यह कच्चा- पक्का सीखा गया हूँ, इसे अब खतरनाक ही मानने लगा हूँ! इसमे तमाम नंगी और अश्लील फोटो का खेल कैसे कर लेते है लोग? सोनिया जी को रामदेव की गोद में बिठा कर दिखाना? अब बताईये यह बाबा बेचारा औरतों का खेल कैसे जानता है? कोयले की खानों से निकलते हुए हमारे सीधे-सादे सरदार एम्.एम् सिंह जी,एक मजदूर के रूप में! तमाम नग्न तसवीरें वह भी कैसी आप यदि न जानते हों तो जिक्र करू ,कहाँ तक कहू ‘सम्भोगावास्था’ तक में दिखाना, वह भी उनके चेहरों के साथ? इस तरह यह विकास के साधनों और प्रदर्शन का दुरपयोग नहीं है तो क्या ? आप ब्लोगर्स क्या इस तकनीक को कैसा मानते हैं? जहां एक ओर हम घर बैठे अपने विचारों को किसी भी जगह प्रेषित कर सकने का फायदा उठा सकते है वह भी बिलकुल मुफ्त में, वहां इस तरह की बेहयाई हमारे बच्चों को क्या सीख दे रही है? अब बताईये की इसे बंद करने का कोई उपाय है की नहीं, क्या यह बकवास यूं ही चलती रहेगी? और हम धोखे के कभी शिकार हो सकने की संभावना के खौफ में जीते रहेंगे?
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