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“जीवन बीमा” से लाभ ?– कुछ विचार !

सपाटबयानी
सपाटबयानी
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आजकल जहां जीवन बहुत बड़ा जोखम हो गया है, कब कहाँ क्या हो जाए नहीं मालूम?,इसलिए इसकी महत्ता और जरूरत पर लोगों का अधिक ध्यान जाना लाजिमी हो गया है! इसलिये जहा पहले केवल ‘भारतीय जीवन बीमा’ ही थी, अब उसकी तरह तमाम बीमा कम्पनीयां खुल गयी है! और तो और अब तो बीमारियों के बड़े खर्चों को न उठा पाने के कारण ‘मेडीकल बीमा’ भी बहुत ही चर्चा में है!
अब सवाल यह उठता है क्या इसकी सार्थकता है या नहीं? बीमा करवाना लाभप्रद है भी की नहीं? इस सवाल पर गौर करें तो कई सवाल सामने आते है जिनका उत्तर अलग-अलग सोच वाले अलग-अलग देते हैं ! कम्पनीयों को तो फायदा ही फ़ायदा है तभी तो सारे देश में तमाम एजेंटों की फ़ौज खड़ी कर दी है, जिन्हें बहुत अच्छा लाभ मिलता है! और बीमा निगम की अपनी ही पूंजी इतनी हो चली है की खुद सरकार को न जाने कितने पैसों का लाभ मिलने लगा है निगम की पूंजी से ? शायद यही कारण है की सरकार बीमा करवाने वालों को आयकर में छूट भी देती है ! बीमा कंपनी ने कई तरह की योजनाओं को मूर्त रूप देकर बाजार में उतारा है, इनको एजेंट लोग विस्तार से बता कर अपने ग्राहकों को आकर्षित करते हैं ! देखा यह गया है की अलग-अलग प्रकार की पालासीयों पर अलग-अलग कमीशन के चलते ये एजेंट ग्राहकों को कभी झूठ कभी अधूरी बात बता कर फंसाते है याने जिन पालीसीयों पर कम कमीशन मिलता है वे लाभप्रद और अच्छी हैं , उन्हें न बता कर, उन पालीसीयों को देने में ज्यादा दबाव बनाते हैं जिन पर उन्हें ज्यादा कमीशन मिलता है! उन्हें पालीसीयों के लेने वालों के हितों को नजरंदाज कर अपना ही हित साधना पड़ता है जो की गलत ही है! और झूठे ही सब्जबाग दिखाते हैं! यह इनकी चालें हैं, जो हर प्रकार की फील्ड के एजेंट करते हैं ! कभी-कभी ये लोग आप से पैसे लेकर जमा भी नहीं करते और पैसा खा भी जाते है! यदि हम कहें की आप पूरी जांच कर के, पता कर के ही कोई पालिसी लें, तो इतना समय किसके पास है? है भी तो इतनी समझ और अक्ल कहाँ से लायें ? कुल मिला कर सब गड़बड़ ही है, पर फिर भी हर आदमी अपने भविष्य की सुरक्षा के लिए बीमा करवाता ही है!
अब सवाल आता है की आप क्या मानते है की बीमा करवाना सही है या नहीं? इसके बारे में कुछ लोग इसने पक्ष में और कुछ इसके विपक्ष में है! एक तीसरे तरह के लोग है उनकी राय है की बीमा करवाना तो तब सही है जब की करवाने के बाद आदमी परिपक्क्वता से पहले ही मर जाता है उस केस में पैसे का अच्छा लाभ मिलता है,वरना तो सरासर घाटा ही है! अब कोई बता सकता है की कौन आदमी कब मरेगा? बीमा करवाने से थोड़ा बाद या बहुत बाद में? दूसरी बात यह है की आप आज पेट काट कर जो पैसा जमा करते हैं, वह पैसा मिलने पर उसकी ‘वैल्यू’ क्या रहती है? (महंगाई के चलते ), आपको बताया जाएगा की ३० साल बाद १० लाख मिलेगा,१० लाख सुनकर मुंह में पानी आना स्वाभाविक है ,पर उस समय उन १० लाख की कीमत क्या होगी? तो यह सरासर ही घाटे का सौदा है! या कहते हैं की मरने के बाद उस पैसे का लाभ तो किसको मिलेगा? हमें तो नहीं? जब की तकलीफ हमने झेली, पेट कर जमा हमने किया यह पैसा, फायदा हम नहीं ले सके?,इसके जवाब में कह सकते है की, भैया आप अपने बच्चों के लिए क्या-क्या नहीं करते हैं? वैसे ही यह भी उसी तरह का करना है!
तमाम तरह की कम्पनीयों को छोड़कर हमें बीमा तो ‘भारतीय जीवन बीमा निगम’ से ही करवाना चाहीयेइसके द्वारा किसी तरह की कोई तकलीफ नहीं होगी और अच्छी साख वाले एजेंट द्वारा ही करवाना चाहीये ,जो भरोसे वाला भी हो! आप उसके द्वारा बतायी गयी बातों को लिखित में देखकर तसल्ली भी करवा लें! क्योंकि ये लोग हमेशा जाल में फंसाने लिए मौखिक कुछ भी कह सकते हैं और बाद में कहेंगे की हमने तो ऐसा नहीं कहा था! और आप अपना प्रेमीअम खुद ही जमा करें न की किसी एजेंट को पैसा देकर,यदि आपके पास समय नहीं है तो आप कभी-कभी खुद जाकर निगम के आफिस में पता भी करते रहें की सब किस्तें बराबर जमा हो रही हैं की नहीं!

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