विपक्ष के रूप में सबसे मजबूत जानी जाने वाली यह पार्टी बी.जे. पी.आज न जाने किस अँधेरे में खो गयी? यह सही है की जिसे अनुशासन का पर्याय माना जाता था आज अपना मूल्य खो बैठा है! अब यहाँ बस अनुशासनहीनता ही रह गयी है! पार्टी के नेताओं ने वरिष्ठता को नजरंदाज कर हर नेता मुंह उठाये भावी पी.एम् बनने के चक्कर में अपनी सोने जैसी साख खो बैठा, जिससे पार्टी को धक्का जरूर लगा! कहते है -‘साख गंवाने में तो समय नहीं लगता,पर बनाने में सालों- साल!’ अब बी जे पी के नेताओं की तो बोलती ही बंद है, सब के सब ‘कौमा’ में चले गए लगता है! यदि ऐसा है तो इस पार्टी का कोई भी नेता एक दूसरे को ‘आई सी यूं’ में देखने को नहीं जा सकेगा ! क्योंकि सब के सब वहीं जो हैं! कहाँ गए बडबोले ये भावी और स्वयंभू पी.एम् ? हिन्दी की कहावत है की “नाच रहे थे भांड पतुरिया कूद पडा सन्यासी” लगता है की इस पार्टी का अंत आ ही गया! अब बन जाओ पी.एम्. सब के सब! हमें इन बी. जे. पी के नेताओं को देखे-सुने एक अरसा हो गया गया है! क्या शर्म के मारे मुंह दिखाने से बच रहे हैं या फिर टी वी चैनल वालों ने भी उन्हें भाव देना बंद कर दिया है! सच है की डूबते को कोई नहीं पूछता? हम तो इस पार्टी के उन नेताओं का आदर करते है जिन्होंने उछल कूद नहीं मचाई! ये हैं- सर्व श्री एल.के.आडवानी,मुरली मनोहर जोशी ( अब वे आउट डेटेड हो गए हैं ),मुख्तार अहमद अब्बास ,शाह नव्वाज हुसैन साब,जो मर्यादा में रह कर ही बात करते हैं, आपा नहीं खोते तथा ‘वेट एंड वाच’ में विश्वास रखते हैं! इस पार्टी के बाद तो कोई और है ही नहीं, कांग्रेस बेईमान साबित होकर भी मलाई खाती रहेगी और कभी-कभी जूठन समाजवादी पार्टी को देती रहेगी, ताकि वह वफादार बन पूंछ हिलाती रहे और भौंके नहीं !
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