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स्नेह और विरक्ति:अमेरीका के संधर्भ में!

सपाटबयानी
सपाटबयानी
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अमेरीका में आये दिन बच्चों के लिए कोई न कोई कार्यक्रम ही रहता है !और वह भी सरकार की योजनाओं के तहत! तमाम ताम- झाम और पांच सितारा होटलों के बराबर के हाल्स में इनका मानाया जाना देख क्या न ताजुब होता है , जिनमे हलके- फुलके नाश्ते, पेय की व्यवस्था मुफ्त में! पूछने पर मालूम पडा की सब सरकारी खर्चे पर होता है! इतना बड़ा खर्चा उठाती है अमेरीका की सरकार बच्चो पर! क्यों न? बच्चे तो हर देश का भविष्य जो है! इन सारे कार्यक्रमों में अपने बच्चो की खुशी के लिए हर अमेरीकी ,भारतीय व अन्य देश के लोग बढ़-चढ़ कर हिस्सा लेते हैं, जिसमे हर माँ बाप अपने इन कलेजों के टुकड़ों के लिए कितना न खर्च करते है! आप ताज्जुब करेंगे!, इनमे भाग लेने हेतु महंगे फैंसी द्रेस्सेज,वाद्य यन्त्र और न जाने क्या- क्या लाते है एक दिन के कार्यक्रम के लिए,अपने बच्चो की खुशी के लिए! इससे लगता है की ये अमेरिकन्स भी हम भारतीयों की तरह कम प्यार नहीं करते है अपने बच्चो से! यही तो स्नेह है!
यहाँ की सरकार भी जनता और देश के भविष्य के लिए सोचती है जो उन पर खर्च करती है! यह सब पैसा आता तो जनता के टैक्स से,ही है, पर सरकार जनता से लिए पैसे को जनता पर ही खर्च करती है ना की अपने मंत्रियो पर! यही कारण है की यहाँ किसी भी पार्क में चल्र जाए या किसी जनहित स्थान पर आपको बराबर सारी सुविधाए मिलेंगी जो सरकार द्वारा मुहैया करवाई जानी चाहीये,और सरकार करवाती है!
यहाँ पर भी सरकार द्वारा लिया जाने वाला टैक्स कम तो नहीं है पर सब लोग ईमानदारी से यह टैक्स देते है,और यहाँ कोई भी सामान बिना बिल के नहीं मिलता जाहिर है की सरकार के टैक्स की चोरी भी नहीं होती और यहाँ अधिकतर हर खरीद के लिए नकद भुगतान न करके डेबिट या क्रेडिट कार्ड से ही भुगतान करने की परम्परा है,सो टैक्स की चोरी होने का सवाल होता ही नहीं! यही भरपूर वसूला गया टैक्स दिल खोल कर जनता की सहूलियतो पर खर्च किया जाता है!
ऊपर हमने माँ बाप के बच्चो के प्रति अपने स्नेह की बात की, परन्तु मुझे यह जान कर आश्चर्य होता है की यही माँ-बाप अपने बच्चो के १७-१८ साल तक ही अपने साथ रखने के बाद उन्हें अलग रह कर कमाने और खाने को छोड़ देते है! जिन बच्चो को बच्च्पन में प्यार से पाला, उन्हें ही अब छोड़ देते है,यह कैसे? बचपन के इस कदर के स्नेह को १७-१८ साल के होते ही उनसे इतनी विरक्ति,कैसे? जब की हमारे यहा बच्चो से प्यार, बच्चो के प्यार में माँ-बाप, मर-मिट जाते है,उनकी हर आयु,हर दुःख में माँ-बाप परेशान हो जाते है! माँ-बाप दस बच्चो का पालन- पोषण कर लेते है,अपना पेट काट कर भी! चाहे बड़े हो कर वे उन्हें न भी पूछे, उनके पालन पोषण में कोई कमी नहीं होने देते! माँ-बाप का बच्चो के प्रति जो स्नेह है वह देखते ही बनता है ! यह इससे प्रमाणित होता है–“वह कौन है जो तेरी जीत में सब कुछ हारा हो और वह कौन है जिसको तुमने हर दुःख में हारा हो?” उत्तर है– बाप और माँ! जहा अमेरीका में औलाद के लिए स्नेह और फिर विरक्ति है वही भारत में स्नेह ही स्नेह है! ऐसा स्नेह जो बदले में कुछ भी चाह नहीं रखता, बिलकुल निस्वार्थ स्नेह,प्यार और वह भी मरने दम तक!

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